वृृक्षारोपण अभियान 2023 के सम्बन्ध में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने बताए मुख्य बिन्दु
लखनऊ। प्रदेश में बढते प्रदूषण को नियंत्रित करने तथा पर्यावरण एवं पारिस्थितिकीय संतुलन बनाये रखने हेतु व्यापक जन आन्दोलन के माध्यम से वृक्षारोपण कर हरित आवरण में वृद्धि करने के लिए प्रदेश सरकार लगातार प्रयासरत है।
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वृृक्षारोपण अभियान 2023 के सम्बन्ध में पर्यावरण, वन, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने बताया की प्रदेश के 85 शासकीय विभागों तथा जन सामान्य के सहयोग से वन भूमि, सामुदायिक भूमि व अन्य राजकीय भूमि, कृषि एवं अन्य निजी भूमि पर वृहद स्तर पर रोपण कराया जा रहा है। इससे प्रदेश की हरित आवरण में वृद्धि, पर्याप्त वर्षा जल संचयन, कार्बन अवशोषण, शुद्ध हवा, उपजाऊ मिट्टी व स्वच्छ जल की प्राप्ति एवं प्रदेश के कृषकों की आय में वृद्धि होगी। इस अभियान मे पेड़ लगाओं, पेड़ बचाओ, हर खेत पर मेड़ हर मेड़ पर पेड़, पेड़ रहेगा तो जीवन रहेगा आदि स्लोगन के माध्यम से जन मानस को जोड़ा जा रहा है।
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श्री सक्सेना ने बताया की प्रदेश का पौधारोपण लक्ष्य 35 करोड़ है। समस्त विभागों एवं स्वयं सेवी संस्थाओं तथा जन प्रतिनिधियों के सहयोग से वृहद स्तर पर वृक्षारोपण अभियान में एक ही दिन 30 करोड़ पौधों का रोपण किया जाएगा। वन विभाग (1901 नर्सरियाँ) से निःशुल्क पौध उपलब्ध होगी। मुख्य प्रजातियां नीम, सहजन, आंवला, इमली, अर्जुन, जामुन, बेल, देशी आम, महुआ, सागौन, शीशम, गुटेल, बांस, पीपल, पाकड़, बरगद आदि है।
मुख्यमंत्री 22 जुलाई द्वारा जनपद बिजनौर एवं मुजफ्फरनगर में वृक्षारोपण कार्यक्रम मे सम्मिलित होकर वृक्षारोपण अभियान का शुभारंभ करेगें। वृक्षारोपण कार्यक्रम में निर्वाचन की तरह इलेक्शन मोड में जोनल एवं सेक्टर मिजिस्ट्रेट की तैनाती की गई है जिनके द्वारा अपने क्षेत्र में वृक्षारोपण कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक तैयारी की गई है।सभी कार्यालय, सभी विद्यालय तथा अन्य संस्थाए केवल वृक्षारोपण कार्य में सहयोग देगी।
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अभियान में विभिन्न प्रकार के वनों की स्थापना
1-ग्राम वन-ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरण संतुलन, स्थानीय जैवविविधिता संरक्षण व अनुकूल सूक्ष्म जलवायु के निर्माण के साथ-साथ मृदा संरक्षण, जल संरक्षण, ईंधन, चारा, फल, लकड़ी आदि बुनियादी जरूरतों, कृषकों की आय में वृद्धि आदि के दृष्टिगत प्रत्येक ग्राम पंचायत में न्यूनतम एक हेक्टेयर क्षेत्र ‘ग्राम वन’ की स्थापना। इस वन में ईंधन, चारा-पत्ती, फलदार, इमारती लकड़ी व पर्यावरण प्रजातियों का रोपण कराया जायेगा। ग्राम वन में रोपण हेतु पीपल, बरगद, पाकड़, गूलर, नीम, सहजन, देशी आम, जामुन तथा अन्य स्थानीय प्रजातियों को प्राथमिकता दी जायेगी।
2- नन्दन वन-नन्दन का अर्थ है – आनन्द देने वाला/प्रसन्न करने वाला। पुराणानुसार यह सब स्थानों में सुन्दर है, जहाँ सुखपूर्वक विहार किया जाता है। शहरों में इसकी स्थापना से शहरवासी इसमें विचरण कर स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ आनन्द को प्राप्त करेंगे। शहरी क्षेत्र में बड़े व छोटे छत्र के वृक्ष प्रजाति का सघन रोपण कर घने वन के रूप में नन्दन वन की स्थापना की जा रही है।नन्दन वनशहरी क्षेत्रों के पर्यावरण प्रदूषण के रोकथाम, नियत्रंण एवं जागरूकता उत्पन्न करते हुए हरीतिमा सवंर्द्धन अभियान संचालन में सहायक सिद्ध होगा।
3-आयुष वन-औषधीय प्रजाति के वृक्षों के महत्व और उनसे मिलने वाले लाभ से जनमानस को जागरूक करने हेतु प्रत्येक जनपद में वन विभाग द्वारा ‘आयुष वन’ की स्थापना। प्राकृतिक रूप से इलाज एवं शरीर की स्वस्थता हेतु परम्परागत चिकित्सा पद्धति का विशेष महत्व है। ऐसे वन की स्थापना द्वारा प्रजातियों के औषधीय महत्व की जानकारी इन वनों में विचरण करने वालों को प्राप्त होगी। इनमें मुख्य रूप से वृक्ष प्रजाति के नीम, अर्जुन, जामुन, बेल, आँवला, अशोक, बबूल, कैथा, इमली, पीपल, बरगद, गूलर, हरड़, बहेड़ा, लसोडा, सहजन, महुआ, बालम खीरा, कुसुम, शहतूत, मौलश्री, बेर, कड़ी पत्ता, करौंदा आदि तथा झाड़ी प्रजाति के नींबू, गुड़हल, चिराैंजी, अनार, किन्नू आदि का रोपण कराया जायेगा। आयुष वन की स्थापना विभागीय वृक्षारोपण क्षेत्र में तथा आयुर्वेदिक कॉलेजों के परिसर में किया जायेगा।