बख्शी का तालाब सीओ नवीना शुक्ला ने ग्लोबल वार्मिग से होने वाले खतरे को चेताया
राज प्रताप सिंह
लखनऊ।एक ओर जहां ग्लोबल वार्मिग का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं धरती से वृक्षों की संख्या कम होती जा रही है। वैज्ञानिक भी ग्लोबल वार्मिग को लेकर लगातार चेताते आ रहे हैं, लेकिन भौतिक जीवन की भागदौड़ में आदमी इतना लापरवाह हो गया है कि उसको अपने जीवन का ब्लैक होल भी नहीं दिखाई पड़ रहा।
बख्शी का तालाब सीओ नवीना शुक्ला ने बताया किग्लोबल वार्मिग के खतरे को अधिकाधिक पौधा रोपण से काफी हद तक कम किया जा सकता है। आज जरूरत इस बात की है कि हम एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका अदा करते हुए न केवल खुद अधिकाधिक वृक्ष लगाएं, बल्कि अपने आस-पास के लोगों को भी पौधारोपण को लेकर जागरूक करें।इसी क्रम में बख्शी का तालाब थाना परिसर में इंस्पेक्टर अरविंद कुमार राणा के द्वारा ग्रामीण पुलिस लाईन में कार्यरत एपी मुकेश आंनद के सहयोग से इस बार 200 पौधे रोपे जाएंगे।
सीओ ने बताया कि वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। इसके विपरीत वातावरण में घुल रहे जहर से धरती आग का गोला बनता जा रहा है। यदि समय रहते नहीं चेता गया तो वो समय दूर नहीं जब पृथ्वी एक आग का गोला बनकर रह जाएगी और यहां जीवन की संभावनाएं दूर-दूर तक खत्म हो जाएंगी।ग्लोबल वार्मिग से बचने का केवल एक मात्र उपाय यह है कि बिना समय गंवाए अधिक से अधिक संख्या में पौधारोपण किया जाए।
हालांकि निकट भविष्य में कम और इसके दूरगामी परिणाम अधिक साबित होंगे। असल में वृक्ष अपने पत्ते और छाल पर हवा में मौजूद प्रदूषक गैसों नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, सल्फर डाइऑक्साइड को अवशोषित कर लेते हैं। यहां तक कि पराबैंगनी किरणों को भी ये अवशोषित कर धरती पर पड़ने से रोकते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि निकट भविष्य के खतरे को भांपते हुए हम आगे आएं वृक्ष लगाएं और दूसरों को भी पौधा रोपण के लिए जागरुक करें।
उन्होंने कहा कि अच्छे काम की शुरुआत पहले खुद से होती है। इसलिए सबसे अच्छा यह होगा कि पहले हम पौधा रोपण को लेकर संकल्प लें और फिर तय करें कि हमें एक साल में कितने पौधे लगाने हैं। यही नहीं इसके साथ अपने परिजनों को भी संकल्प दिलवाएं और पौधा रोपण में सहयोग करें। पौधा रोपण को लेकर इस तरह से आप अपने मोहल्ले, गांव व कालोनी में एक मिसाल बन सकते हैं और औरों के लिए प्रेरणा श्रोत भी।
इंस्पेक्टर अरविंद कुमार राणा ने बताया कि अक्सर देखा गया है कि विभिन्न तरह के अभियान आदि या फिर किसी के कहने में आकर हम पौधारोपण तो कर दे देते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद हमें याद भी नहीं रहता कि हमने कभी कोई पौधा भी लगाया था। पौधारोपण का मतलब केवल पौधा लगाने भर से ही पूरा नहीं हो जाता। पौधारोपण का मतलब है कि आप बच्चे की ही तरह पौधे को पूरे मन व संकल्प के साथ गोद लें। जिस तरह से हम अपने बच्चे के खाने पीने और तमाम छोटी-छोटी जरूरतों का ख्याल रखते हैं उसी तरह पौधे को सींचने से लेकर उसको बड़ा करने तक की जिम्मेदारी भी हमें उठानी होगी तब जाकर असल रूप में पौधारोपण का उददेश्य पूरा होगा।