Tuesday, December 10, 2024
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    चुनाव प्रचार सामग्री पर मुद्रक और प्रकाशक का नाम और पता होना अनिवार्य

    निर्धारित मानक के अनुरूप निश्चित स्थान पर लगी हो

    लखनऊ। निर्वाचन आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है जिसके अनुसार सभी प्रकार की चुनाव प्रचार सामग्री पर मुद्रक और प्रकाशक का नाम व पता का अनिवार्य रूप से उल्लेख करना होगा।

    यह ही पड़े-प्रत्याशी को अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि की सूचना तीन बार सार्वजनिक करनी होगी 

    जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127ए के तहत

    उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि भारत यह कदम चुनाव प्रक्रिया में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 127ए के तहत, चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पैम्फलेट, पोस्टर या बैनर के मुद्रण में मुद्रक और प्रकाशक के नाम और पते के बिना मुद्रित नहीं किया जा सकता।आयोग ने यह निर्देश उन शिकायतों के बाद जारी किया, जिसमें दावा किया गया था कि नगर निकाय के नियंत्रण वाले होर्डिंग लगाने के स्थानों पर बिना प्रकाशक और मुद्रक की पहचान वाले होर्डिंग लगे हुए हैं।

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    आयोग के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन किया जाए

    इस निर्देश के साथ आयोग ने अब ’आउटडोर मीडिया’ पर प्रकाशित राजनीतिक विज्ञापनों के लिए स्थान किराए पर देने वाले सभी स्थानीय प्रशासन व नगरीय निकायों के लाइसेंसधारियों/ठेकेदारों की जवाबदेही भी तय कर दी है। सभी नगरीय निकायों व स्थानीय प्रशासन, जो कि होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर लगवाने के लिए जिम्मेदार हैं, द्वारा आयोग के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन किया जाए। चुनाव प्रचार सामग्री आदर्श आचार संहिता के निर्धारित मानक के अनुरूप निश्चित स्थान पर लगी हो तथा होर्डिंग्स, पोस्टर व बैनर में प्रकाशित सामग्री में मुद्रक एवं प्रकाशक का नाम मुद्रित हो, इसकी जिम्मेदारी भी इन्हीं की होगी।

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    एक सकारात्मक कदम

    इस निर्देश का प्रभाव यह होगा कि चुनाव सामग्री की प्रिटिंग में शामिल सभी पक्षों को अधिक सतर्क रहना होगा और उन्हें अपनी जवाबदेही का पूर्ण रूप से पालन करना होगा। इससे निर्वाचन प्रक्रिया में अधिक स्पष्टता आएगी और मतदाताओं को उचित जानकारी प्राप्त हो सकेगी। भारत निर्वाचन आयोग का यह निर्देश चुनावी प्रक्रिया को और अधिक जवाबदेह, पारदर्शी और उसे नैतिक बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे चुनाव प्रचार में शामिल सभी मुद्रित सामग्री की उत्पत्ति और वित्तपोषण के स्रोतों की पहचान हो सकेगी, जो लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरुरी है।

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