लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय (बीबीएयू) के समाजशास्त्र विभाग एवं स्थायी आयोजन समिति के संयुक्त तत्वावधान में गुरूवार को स्कूल फॉर अम्बेडकर स्टडीज के सभागार में स्वच्छता के जनक, समाज सुधारक संत गाडगे जी महाराज की जयंती मनायी गयी।
इस अवसर पर स्वच्छता एवं समाज (सैनिटेशन एंड सोसाइटी) विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर विवि के कुलपति प्रो. संजय सिंह ने सभी को शुभकामनायें देते हुए कहा कि स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छता अनिवार्य है।
संगोष्ठी का शुभारंभ समाजशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो. जया श्रीवास्तव द्वारा अथितियों के स्वागत वक्तव्य से हुआ। साथ ही उन्होंने संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन भी किया।
उन्होंने संत गाडगे महाराज के जीवन का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया। संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एलसी मलैया ने कहा कि महाराज संत गाडगे व्यक्तिगत तौर पर तमाम तरह के संकटों को झेलते हुए समाज को स्वच्छता और सुधार की तरफ ले गये।
उन्होंने तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ अनेक तरह के सुधारात्मक कार्य किये और समाज को जागरूक करने का कार्य किया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता समाजशास्त्री सुलभ इंटरनेशनल के पूर्व उपकुलपति प्रो. सतेंद्र त्रिपाठी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर और संत गाडगे बाबा ने समाज मे बदलाव के लिए कई सूत्र दिये।
जहां डॉ. अम्बेडकर ने सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक बदलाव के लिए शिक्षा पर बल दिया। वही संत गाडगे जी महाराज के स्वच्छता के विचार पर बल दिया और व्यापक स्तर पर समाज में स्वच्छता के लिए अनेक तरह से जागरूकता और सुधारात्मक अभियान चलाये। समाजशास्त्र एवं समाजशास्त्रियों को सामाजिक परिवर्तन के लिए समाज और स्वच्छता के सम्बंध को समझना जरूरी है। स्वच्छता का विचार पूर्ण रूप से इंडिनाईजेशन के विचार से जुड़ा हुआ है।
समाजशास्त्रियों को इस बात पर भी विचार करना चाहिये। हमे अपने शोध कार्यों और लेखन में इंडिनाईजेशन के विचार पर गंभीरता दिखानी होगी। प्रो. त्रिपाठी ने स्वच्छता के संदर्भ में ऐक्शन सोशियोलॉजी के जनक और सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक प्रो. बिंदेश्वर पाठक द्वारा किये गये प्रयासों पर भी प्रकाश डाला।
संगोष्ठी की अध्यक्षता अंबेडकर स्कूल आफ सोशल साइंसेज के डीन प्रो. मनीष कुमार वर्मा द्वारा की गयी। डॉ. राजशरण शाही ने सभी अथितियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी में प्रो. केएल महावर, डॉ. आरपी गंगवार, डॉ. संगीता कृष्णा, डॉ. एमके पाधी, डॉ. शालिनी चंद्रा, डॉ. ब्रजेश कुमार, डॉ. अजय कुशवाहा, शोधार्थी एवं छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।