Friday, September 13, 2024
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    सनातन परम्परा में जैन संस्कृति का विशेष महत्व है-पूर्व पुलिस महानिदेशक विजय कुमार

    राष्ट्रीय संगोष्ठी- जैन दर्शन एवं कला संगोष्ठी

    लखनऊ। उप्र जैन विद्या शोध संस्थान व शशि भूषण बालिका डिग्री कॉलेज की ओर से भारतीय संस्कृति में जैन दर्शन एवं कला का योगदान विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन बाल्मीकि प्रेक्षागृह गोमतीनगर मे शनिवार को किया गया।

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    जैन धर्म और संस्कृति की हमारी विरासत समृद्धशाली है

    इस मौके पर मुख्य अतिथि पूर्व पुलिस महानिदेशक विजय कुमार ने कहा कि उत्खनन में प्राप्त सामिग्री एवं मूर्तियों का विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि हमारे देश की कला अति प्राचीन है। देश और प्रदेश के कई जनपदों में उत्खनन का अवलोकन और अध्ययन से पता चला रहा है कि जैन धर्म और संस्कृति की हमारी विरासत समृद्धशाली है।

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    जैन धर्म आध्यात्म और व्यवहारिक सामाजिक जीवन को नई ऊचाई पर पहुंचाता है

    बीज वक्ता (मुख्य वक्ता) प्रो. पियूष भार्गव ने कहा कि जैन कला का वैशिष्ट्य तीर्थंकरों कि निस्पृह योग साधना प्रमुख है। प्रो. शैलेन्द्रनाथ कपूर और प्रो अनिल कुमार ने कहा कि प्राचीन दार्शनिक शास्त्रों के अध्ययन और शोध से भारतीय संस्कृति को समझने की दिशा नये आयाम स्थापित होंगे। विशिष्ट अतिथि दिल्ली के प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने बताया कि हमारी सनातन परम्परा में जैन संस्कृति का विशेष महत्व है। जैन धर्म आध्यात्म और व्यवहारिक सामाजिक जीवन को नई ऊचाई पर पहुंचाता है।

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    प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) से प्रारम्भ होती है

    संगोष्ठी की अध्यक्षता उ.प्र. जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो.अभय कुमार जैन ने कहा कि जैन धर्म संस्कृति अनादि काल चली आ रही है। निर्ग्रन्थ श्रमण परम्परा प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव (आदिनाथ) से प्रारम्भ होती है। अयोध्या राजा ऋषभदेव ने अपनी प्रजा को असि,मसि,कृषि,शिल्प, वाणिज्य,शिक्षा,लिपि और अंक विद्या का ज्ञान देकर मानव को जीवन यापन की कला में समृद्ध किया।

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    संगोष्ठी के संयोजक डॉ. सौरभ मिश्र ने गोष्ठी के प्रमुख विषयों और उदेश्यों पर प्रकाश डाला। अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के निदेशक डॉ.राकेश सिंह ने अतिथियों का सम्मान एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में जैन संस्थान के निदेशक अमित कुमार अग्निहोत्री,संगीत नाटक आकादमी के निदेशक डॉ.शोभित कुमार नाहर,शशिभूषण बालिका विद्यालय डिग्री कॉलेज के प्रबन्धक पंकज भट्टाचार्य और प्राचार्य प्रो.अंजुम इस्लाम मौजूद रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अंजली आस्थाना और चन्द्रकला ने किया।

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    डॉ. शकुन्तला मिश्रा विवि के डॉ. बृजेश रावत, जबलपुर से डॉ. रंजना जैन, नैनीताल से डॉ. रितेश शाह और डॉ. पीएसअधिकारी अयोध्या से डॉ.विनय कुमार शर्मा, बरेली से डॉ.पवन सिंह, मोतीहारी से प्रो.सुनील महावर और मुकेश कुमार,सिद्धार्थनगर से डॉ. शरदेन्दु त्रिपाठी के अतिरिक्त स्थानीय शोधार्थियों कने शोध निबन्ध प्रस्तुत किये। संगोष्ठी में 24 शोध पत्रों का वाचन हुआ।

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