लखनऊ दिव्यांगजनों के साथ अभी लंबी यात्रा करनी है। दिव्यांगजनों को असमर्थ नहीं मानती। इस कारण इस कार्यक्रम का भी नाम रखा समर्थ दिव्यांगजन शिविर रखा गया है। जो भी आप सभी के लिए कर रही हूं, वह मेरा कर्तव्य है। ये बातें सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र की विधायक व प्रदेश सरकार की महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री श्रीमती स्वाती सिंह ने कही। वे कृष्णा नगर में आयोजित दिव्यांगजन शिविर में बोल रही थीं। यह शिविर उनके नेतृत्व में ही लगाया गया था, जहां 317 दिव्यांगजनों ने रजिस्टेशन करवाया। उन्हें ट्राइसाइकिल, चलती-फिरती दुकान, टैबलेट मोबाइल (जिसमें ब्रेल लिपि का प्रयोग होता है।) आदि वितरित किया गया।
मंत्री स्वाती सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार हमेशा से हर वर्ग के लिए कार्य करती आयी है। सेवाभाव से समर्पण के साथ आप लोगों के साथ जुड़ी हुई हूं। महिलाओं की समस्याएं हों या नौजवानों की या किसी गरीब परिवार की समस्या है, मैं हमेशा आपके साथ खड़ी रहती हूं। आगे भी इस सेवाभाव में कोई कमी नहीं आएगी, इसका मैं वचन देती हूं। मेरा विधानसभा क्षेत्र मेरे लिए एक परिवार है। यही कारण है कि हम अपने दिव्यांग भाई-बहनों के साथ बात की और इसकी योजना बनाई। श्रीमती स्वाती सिंह ने कार्यक्रम के नामकरण “समर्थ दिव्यांगजन शिविर” पर अपने विचार रखते हुए कहा कि वास्तव में यह शिविर दिव्यांग जनों को समर्थ बनाने के लिए एक पहल मात्र है। इसी कड़ी को को आज प्रारंभ किया गया है और भविष्य में इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहेगा,
जिससे दिव्यांगजन समर्थ हो सके और आत्मनिर्भर बन सकें।
मंत्री ने इस अवसर पर 25 चलित दुकानों को भी वितरित किया जो कि संपूर्ण रूप से सुसज्जित थी अर्थात इन दुकानों में समस्त सामग्री के साथ। दिव्यांग जनों को चिन्हित कर उन्हें वितरित किया गया था। इस शिविर में जो दिव्यांग व्यक्ति अथवा अथवा महिला अथवा पुरुष इस योग्य थे जो स्वयं अपना कार्य प्रारंभ करना चाहते थे उन्हें भी सिलाई मशीन एवं अन्य ऐसे उपकरणों को वितरित किये गये, जिससे वे अपना रोजगार शुरू कर सकें और अपने और अपने परिवार का भरण पोषण एवं पालन पोषण कर सकें। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण “स्वाति सिंह आपके द्वार” नामक एक विशेष कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया, जिसमें स्वाती सिंह के द्वारा सरोजिनी नगर क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति के घर जा करके उनसे संपर्क स्थापित कर और संवाद स्थापित की समस्याओं को जानने और उनके निराकरण हेतु कार्य करना सम्मिलित था।