Monday, September 16, 2024
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    मनरेगा श्रमिको के लिए 3600 करोड़ से भी ज्यादा की धनराशि जारी

    श्रमांश ,सामग्री और प्रशासनिक मद  में पैसा जारी

    लखनऊ। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के मजदूरों और निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्ता एजेंसियों के लिए एक राहत भरी खबर  है। इन लोगों के बकाये का अब बहुत जल्द ही भुगतान होगा। सरकार ने उत्तर प्रदेश मनरेगा के लिए अपना खजाना खोल दिया है। केंद्र सरकार से करीब 3,667 करोड़ से भी ज्यादा की धनराशि जारी कर दी गई है।

    बहुत जल्द ही श्रमिकों के खातों में पहुंचेगी, उनके पारिश्रमिक की धनराशि

    उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सामग्री मद में 1,100 करोड़ की धनराशि जारी कर दी गई है, इसके अलावा प्रशासनिक मद हेतु भी करीब 50.41 करोड़ की धनराशि केंद्र ने जारी की है।  जारी धनराशि से बकायेदारी भी दूर होगी। अब बहुत जल्द ही श्रमिकों और निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्ता एजेंसियों तक यह धनराशि पहुंचेगी। जारी धनराशि से जहां मजदूरों को उनका श्रमांश मिलेगा, वहीं मनरेगा में निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्ता एजेंसियों को भी उनका बकाया भुगतान किया जा सकेगा।
    इस धनराशि के मिलने से मनरेगा कार्यों में भी तेजी आएगी। ऐसे में आपूर्तिकर्ता एजेंसियों के साथ-साथ मजदूर भी पूरी ऊर्जा के साथ मनरेगा कार्यों में अपना योगदान देंगे। प्रदेश सरकार श्रमिकों के हितों को सर्वोपरि  रखते हुए लगातार काम कर रही है। श्रमिकों की मजदूरी उनके खाते में समय से पहुंचे, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है। मनरेगा के लिए जारी धनराशि के लिए केंद्र सरकार का भी श्रमिकों की ओर से आभार भी जताया है ।

    सामग्री मद में 1,100 करोड़ की धनराशि जारी कर दी गई है

    आपको बताते चलें कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 26 करोड़ मानव दिवस सृजन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके सापेक्ष  अब तक प्रदेश द्वारा 13.50 करोड़ से ज्यादा मानव दिवस सृजित कर लिये गये हैं। ग्राम्य विकास आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने बताया कि मनरेगा योजना के लिए मांग के अनुरूप केंद्र द्वारा श्रमांश, सामग्री एवं प्रशानिक मद हेतु करीब 3,667 करोड़ ,जिसमें श्रमांश करीब 2,517 करोड़, सामग्री मद में 1,100 करोड़, और प्रशासनिक मद हेतु भी करीब 50.41 करोड़ की धनराशि केंद्र ने निर्गत की है।इस धनराशि से श्रमिकों का बकाया भुगतान किया जा सकेगा। बहुत जल्द ही यह धनराशि श्रमिकों और निर्माण सामग्री आपूर्तिकर्ता एजेंसियों तक पहुंचेगी।
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