रामकिशोर रावत
लखनऊ। वन विभाग व लोकल पुलिस की मिली भगत के चलते लकड़ी माफिया खुलेआम हरियाली पर आरा चलावा रहे है। जिम्मेदार लोग जान कर भी अनजान बने हुये है।
मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र आम की वजह से विश्व में विख्यात है। इस समय पेड पर बौर आ रहे है। इसके बावजूद खुलेआम हरे भरे आम, नीम, सागवान, गूलर और महुआ जैसे प्रतिबंधित पेड़ों पर लकड़ी ठेकेदारों द्वारा आए दिन आरा चलवाया जा रहा है। माल इलाके के ककराबाद, शंकरपुर चक सैदपुर,बहरौरा, मंझी सहित अन्य गांव में सैकड़ो की संख्या में बिना परमिट प्रतिबंधित पेड़ काटे गए हैं।
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सबसे बड़ी बात यह है कि माल से जेहटा रोड पर रोड के दोनों तरफ देखा जा सकता है कि किस तरह से हरियाली पर आरा चलाकर बागों को मैदान का रूप दे दिया गया है। जब कि इस रोड पर वन विभाग से लेकर पुलिस विभाग के जिम्मेदार भी निकलते हैं, लेकिन जिम्मेदारों को यह अवैध तरीके से काटे गए पेड़ नहीं दिखाई देते हैं इन्हीं कि लापरवाही के चलते लकड़ी माफिया खुलेआम हरियाली को समाप्त करने पर तुले हुए हैं।
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सूत्रों के अनुसार वन विभाग व पुलिस विभाग के जिम्मेदार पेड़ काटने से पहले मौके पर देखने जाते हैं। देखने के बाद फिर हरियाली पर आरा चलवाने की दी जाती है परमिशन। लकड़ी माफिया खुलेआम हरे-भरे प्रतिबंधित पेड़ों पर आरा चलवा कर जड़ों को भी जेसीबी से उखड़वा कर जुताई करवाने के बाद पानी भरवा दिया जाता है। जबकि सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस वन विभाग का मामला बताकर पल्ला झाड़ लेती है। शिकायत हो गई तो दो चार पांच पेड़ों पर जुर्माना करके खाना पूर्ति कर दी जाती है।अगर जुर्माना नहीं किया जमा करते हैं तो मुकदमा दर्ज कर दिया जाता।
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जबकि लकड़ी माफिया द्वारा अवैध लकड़ी को काटकर डाला में लाद कर इलाके में बनी वन विभाग की चौकी के सामने से लादकर खुले अम्म निकलते हैं। मगर कहीं किसान एक पेड़ काट कर रोड पर निकलता है तो यह दोनों विभाग सारा कानून बताकर कुछ ना कुछ सुविधा बिना लिए छोड़ते नहीं है। यही हाल रहा तो मलिहाबाद फल पट्टी क्षेत्र का नाम तो रहेगा लेकिन हरे-भरे प्रतिबंधित पेड़ नहीं बचेंगे और जिम्मेदार सुविधा शुल्क के लालच में जानबूझकर अनजान बने रहेंगे।