अशोक सिंह
लखनऊ। हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर इंदिरा नगर लखनऊ निवासी शक्ति बाजपेयी की विशेष प्रस्तुति
हमारी आत्मा है ,अस्मिता है ,आन है हिंदी ।
हमारे आचरण और व्याकरण की जान है हिंदी ।
हमारी राजमाता संस्कृत की गोद में पलकर,
हमारी राष्ट्रभाषा है, अडिग सम्मान है हिंदी ।।
हजारों बोलियां जो एक सागर में समाहित है,
जो स्वर व्यंजन के कंपन में ये सारा विश्व मोहित है,
कि जिस की वर्तनी से कितनी भाषाएं व्यवस्थित है,
मेरे देवों की भाषा है सकल विज्ञान है हिंदी।।
हमारी राष्ट्रभाषा है अडिग सम्मान है हिंदी।।
ये वो भाषा है जिसने साज को जिव्हा पे संगत दी,
ये वो बोली है जिसने प्रीत को यौवन पे रंगत दी,
मधुर वाणी के पीछे चल दिए जो जायसी ज्ञानी,
ये तुलसी, सूर, मीरा की मधुरतम तान है हिंदी ।।
हमारी राष्ट्रभाषा है अडिग सम्मान है हिंदी।।
ये हिंदी है निराला की, यह दिनकर, पंत को प्यारी,
सजाकर पंचतंत्र में प्रेमचंद्र ने अनंत लिख डाली,
कहीं बिरहा, कहीं श्रृंगार ,कहीं वीरों की वाणी है,
कहीं बच्चन की मधुशाला, कहीं रसखान है हिंदी।।
हमारी राष्ट्रभाषा है अडिग सम्मान है हिंदी।।
सहज अंग्रेजियत है पर प्रखर हिंदी हमारी है,
सदा प्रतिभा के आंगन में मुखर हिंदी हमारी है,
ना होने दो उपेक्षित इसको पश्चिम की हवाओं से,
ये भारत देश का गौरव ,अमर सोपान है हिंदी।।
हमारी राष्ट्रभाषा है अडिग सम्मान है हिंदी।।
ये दीपक राष्ट्रभाषा का ,इसे उजियार रखना है,
हिंदी और कलम के जोड़ का हथियार रखना है,
चलो संकल्प ले हिंदी सदा जीवंत रखेंगे,
हमारी चेतना है ,देश का अभिमान है हिंदी।।
हमारी राष्ट्रभाषा है अडिग सम्मान है हिंदी।।