लखनऊ। एसटीएफ की टीम ने रविवार को अंतरराज्यीय कछुआ तस्करों के गिरोह का पर्दाफाश करते हुये तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इनके कब्जे से संरक्षित प्रजाति के 258 जिंदा कछुए बरामद किये गये है। इन कछुओं को वन्य जीव अपराध नियन्त्रण ब्यूरो की निगरानी में नदियों में छोड़ दिया गया। पकड़े गये तस्कर मछुआरों से कछुओं को खरीदकर कर ऊंचे दामों पर लोगों को बेचते है। जिनके गिरोह की अन्य सदस्यों के बारे में पुलिस जानकरी एकत्र कर रही है।
पुलिस उपाधीक्षक एसटीएफ दीपक सिंह
ने बताया कि सुलतानपुर के कुछ तस्कर भारी मात्रा में कछुओं की तस्करी के लिये लखनऊ में आने वाले है। जिसकी जानकारी मिलते ही एसटीएफ एसआई शिवेंद्र सिंह के नेतृत्व में टीम के साथ वन विभाग की टीम को साथ मेट्रो स्टेशन मुन्शी पुलिया थाना गाजीपुर के पास घेराबन्दी कर तीन तस्करों को गिरफ्तार कर लिया गया। जिनके पास से प्रतिबन्धित प्रजाती के 258 कछुयें बरामद किये गये। पकड़े गये आरोपियों की पहचान रविन्द्र कुमार कश्यप उर्फ रमन, बख्तीयार नगर, थाना मलिहाबाद, जनपद लखनऊ , अरमान अहमद, ग्राम धरमइतेपुर थाना धम्मौर जनपद सुलतानपुर समेत सौरभ कश्यप, ग्राम काकोरी, थाना- काकोरी, जनपद लखनऊ के रूप में हुयी। पकड़े गये गिरोह में करीब एक दर्जन के आसपास लोग शामिल है। जिनके बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है।
देश भर में करते है सप्लाई
डीसीपी दीपक सिंह ने बताया कि पूछताछ के दौरान पकड़े गये आरोपी रविन्द्र उर्फ रमन से पता चला कि वह कई साल से मछुआरों ने कछुओं की खरीद फरोख्त कर रहा है। सुलतानपुर, बाराबंकी, रायबरेली, उन्नाव, बहराईच समेत अन्य जिलों के मछुआरों से उनके गिरोह के लोग सम्पर्क साधकर उनसे नदियों एवं तालाबों से कछुओं को पकड़वाते हैं। छोटी मोटी रकम देने की लालच में उन्हें कछुओं के साथ लखनऊ बुलवाते हैं। जिनसे कछुये खरीदकर उन्हें ऊचे दामों पर लखनऊ ,भोपाल, इन्दौर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता जैसे महानगरों इसकी सप्लाई करते हैं। यह न केवल भारत मे बल्कि वेस्ट बंगाल के रास्ते होकर बांग्लादेश व म्यांमार तक भेजे देते है। जिन्हें 15 सौ से लेकर दो सौ रुपये तक बेचा जाता है। बाहरी जनपदों में इनकी कीमत तीन से चार हजार रुपये की होती है। इनके पास से बरामद कुछुओं की कीमत करीब 30 लाख रुपये की आंकी जा रही है।
कछुओं की 11 प्रजातियों का हो रहा अवैध व्यापार
डीसीपी दीपक ने बताया कि भारत में कछुओं की पाई जाने वाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियाँ उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। इनमें 11 प्रजातियों का अवैध व्यापार किया जाता है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुए के माँस के लिये, पालने के लिये या झिल्ली को सुखा कर शक्तिवर्धक दवा के लिए किया जाता है। कछुओं का मुलायम कवच और कठोर कवच के रूप में वगीर्कृत किया जाता है। यमुना, चम्बल, गंगा, गोमती घाघरा, गण्डक आदि नदियों व उनकी सहायक नदियों, तालाबों में दोनों प्रकार के कछुए बहुतायत में पाए जाते हैं। इटावा, मैनपुरी व आस-पास के जनपदों से बड़े स्तर पर विभिन्न प्रजातियों के कछुओ की तस्करी हो रही है। यहाँ के तस्कर पश्चिम बंगाल के व्यापारियों के संपर्क में रहते हैं। वह बांग्लादेश और म्यांमार के रास्ते चीन, हांगकांग, मलेशिया आदि देशो में इनकी सप्लाई करते हैं।