नई दिल्ली। टाटा मोटर्स, अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड और गुजरात डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड ने एक उल्लेखनीय सहयोग के तहत साणंद और इसके आस-पास के क्षेत्रों में एक नई ‘श्वेत क्रांति’ की लौ जगाई है। इस पहल ने अपने लाभार्थियों के लिये सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव को प्रेरित किया है।
यह पहल लोगों के जीवन को समृद्ध बना रही है और उन्हें शिक्षा तथा स्वास्थ्यरक्षा सुविधाओं तक बेहतर पहुँच दे रही है। समाज के भीतर उनका रुतबा भी बढ़ रहा है। टेक्नोलॉजी और कोऑपरेटिव्स का फायदा उठाकर साणंद के सुदूर इलाकों की 1600 से ज्यादा महिलाओं ने ग्रामीण गुजरात की सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों में शानदार बदलाव किया है।
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक है, लेकिन प्रति व्यक्ति के लिहाज से उसका उत्पादन कम है। साणंद में भारवार और कोली पटेल समुदायों की महिलाएं पारंपरिक रूप से डेयरी फार्मिंग करती है और यह उनकी आमदनी का पूरक स्रोत है। इन महिलाओं को शादी के तोहफे के तौर पर अक्सर गाय या भैंस दी जाती है। वे चारा देने से लेकर दूध की बिक्री तक डेयरी फार्मिंग के पूरे वैल्यू चेन में काम करती हैं।