Sunday, October 13, 2024
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    सिपाही पिता की मौत के बाद जब नहीं मिली नौकरी तो बन गया फर्जी दारोगा 

    लखनऊ। सीतापुर में ट्रेनिंग के दौरान 1989 बैच के सिपाही की 2018 में मौत हो गई थी। सिपाही पिता की मौत के बाद जब उसके बेटे को नौकरी नहीं मिलती है तो वह शौक पूरा करने के लिए फर्जी दारोगा बनकर रौब झाड़ने लगा।  जिसे चिनहट पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

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    इंस्पेक्टर चिनहट अश्वनी कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि गस्त के दौरान चौकी इंचार्ज जावेद को अयोध्या रोड स्थित आदर्श ढाबे के पास एक संदिग्ध युवक दिखाई पड़ा। जो दारोगा की वर्दी में था। मगर उसने पुलिस के जूते नहीें पहन रखे थे। साथ ही उसकी वर्दी का रंग भी थोड़ा अलग था। चौकी इंचार्ज ने जब उससे बात की तो वह घबरा गया। पुलिस के मुताबिक आरोपी बहराइच के रामगांव का रहने वाला सोमिल सिंह (22) छात्र है।

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    वर्दी अपने परिचित कांस्टेबल की चुराई

    आरोपी ने पूछताछ में बताया कि उसने वर्दी अपने परिचित कांस्टेबल की चुराई थी। साथ ही दो स्टार उसने बाजार से खरीदे थे। उसके पास से यूपी पुलिस का फर्जी आई कार्ड भी बरामद हुआ है। पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपनी तैनाती बाराबंकी में बताई। आरोपी ने पहले तो पुलिस टीम पर दबाव बनाने की कोशिश की। सख्ती से पूछताछ करने पर उसने गुनाह कबूल किया।

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    पुलिस की पूछताछ में फर्जी दारोगा सोमिल सिंह ने बताया कि वह बहराइच से आया था और अपने रिश्तेदार गौतम पल्ली थाने में तैनात  कॉन्स्टेबल  के यहां रुका हुआ था। उसका कहना है कि शाम को जब परिचित कांस्टेबल घर से चला गया तो उसकी वर्दी ली और चारबाग रेलवे स्टेशन गया। वहां पर एक दुकान से  दो सितारे खरीदे और अपनी वर्दी में लगा लिए। इसके बाद वह वहां से चला गया।

    कार सेल्समैन को बनाया अपना दोस्त

    सोमिल ने एक साल पहले लखनऊ के चंदन अस्पताल के पास जेएसवी हुंडई से एक कर्मचारी के द्वारा क्रेटा कार की ऑनलाइन बुकिंग कराई थी। कार सेकंड हैंड थी कार बुक कराने वाले कर्मचारी से अक्सर उसकी बातचीत होती थी और वह इसके संपर्क में था। जब सोमिल लखनऊ आता था तो कार बुकिंग करने वाले कर्मचारी के साथ वर्दी पहन कर घूमता था।

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    पहनावे से खुली पोल

    शुक्रवार को सोमिल गोमती नगर में ही पूरी रात घूमता रहा। सुबह होने पर चिनहट अयोध्या रोड पर स्थित ढाबे पर खाना खाने लगा। खाना खाने के दौरान जब वह होटल से बाहर निकलने लगा तो वहां पर मौजूद एक दारोगा ने उसे देख लिया। जिसे उसकी वर्दी पर शक हुआ, क्योंकि दारोगा की वर्दी पर बाएं तरफ बैच होता है, लेकिन इसकी बाई तरफ बैच नहीं लगाया हुआ था और पैर में जो जूते थे उसमे फीते नहीं थे। इसके बाद उनके द्वारा पूछताछ की गई और नकली दारोगा की पोल खुल गई।

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