राम किशोर
कुटीर उधोग बना अवैध शराब
लखनऊ। वर्तमान समय में नशा एक फैशन बन गया है,सस्ते नशे के लिए लोग अवैध कच्ची शराब पर निर्भर रहे है। जिस के कारण अवैध शराब का धंधा कुटीर उधोग की शक्ल ले चुका है। दर्जनों गांवो में धधक रही अवैध शराब की भट्ठियों को रोकने में सरकारी प्रयास पूरी तरह नाकारा हैं।
महिलाएं इस कारोबार का अहम अंग
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और सामाजिक प्रतिरोध न होने के चलते इस कारोबार को तो मानो पंख लग गये।पुलिस और आबकारी महकमे की कार्यवाही के समय तालमेल बनाकर बच निकलना इस कारोबार से जुड़े लोगों को खूब पता है।यही नहीं महिलाएं इस कारोबार का अहम अंग बन गयी हैं।पुरुष शराब की सप्लाई करते हैं वहीँ महिलाएं शराब बनाने और पिलाने के लिए मुश्तैद रहती हैं।
तीन दर्जन जवान लोगों को भी निगल लिया
सामाजिक और प्रशासनिक शह पर फल फूल रहे इस कारोबार की झलक माल थाने से सौ मीटर आगे बसे रामनगर गांव में देखी जा सकती है। शराब कारोबार में मामले में टॉप नंबर पर चल रहे इस गांव की अवैध शराब ने करीब तीन दर्जन जवान लोगों को भी निगल लिया।परिवारों को शराब की लत और कारोबार से निजात दिलाने के लिये गांव की महिलाओं ने सामूहिक तौर पर थाने में इसकी शिकायत की लेकिन कोई नहीं जागा।उलटे उन महिलाओं को गांव में ताने सुनने पड़े।
आपराधिक वारदातों की यह मुख्य वजह
करीब बीस वर्ष पहले पनपे अवैध शराब के इस कारोबार का दायरा माल क्षेत्र में बड़ा है।गोमती नदी के किनारे बसे गांवों में अवैध शराब का चलन अधिक था।समय बीता तो लोगों ने इस कारोबार में नशे के साथ रोजगार भी नजर आया।धीरे धीरे यह कारोबार समूचे क्षेत्र में अपनी जड़े फ़ैलाने लगा। मौजूदा समय में आपराधिक वारदातों की यह मुख्य वजह मानी जाती है।जिसमें महिलाओं से अभद्रता मारपीट घरेलू हिंसा जैसी घटनाएं रोज सामने आती हैं।
जिस्म फरोशी के धंधे की भी बू
अवैध शराब के लिये कुख्यात रामनगर गांव से गुजरे माल इटौंजा रोड पर शाम होते ही किसी बाजार का एहसास होता है।कस्बे सहित अलग-अलग जगहों के सैकड़ो लोग यहाँ जाम की तलाश में नजर आते हैं। घरों में मौजूद महिलाएं यहाँ जाम परोसने का बड़े पैमाने पर काम करती हैं। जिससे जिस्म फरोशी के धंधे की भी बू आती है।
बेबसी और गरीबी की अंतहीन लड़ाई
रामनगर गांव के दर्जनों नौजवान इसी अवैध शराब को पीकर असमय काल के गाल में समा गये।एक अंदाज के अनुसार इस गांव में करीब चालीस ऐसी महिलाएं होंगी जिनके जवान पति शराब पीने के कारण स्वर्गवासी हो गये।अपने साथ परिवार का बोझ लिये यह गरीब विधवा महिलाएं या तो बेबसी और गरीबी की अंतहीन लड़ाई लड़ रही हैं या वह भी शराब के इस कारोबार में अपना भविष्य खोज रही है।
ये है गांव
मॉल थानाक्षेत्र के वीरपुर,गौरैया,अऊमऊ,तेहतना,मुं शीखेड़ा,नवीपनाह,शाहपुर गोड़वा,पकरा बाजार गांव,बसहरी,जंगीखेड़ा,भभूती खेड़ा,चमरखेड़ा ,केड़ौरा,शाहमउ,बसंतपुर,जानकी नगर,बेलबिरवा,रानीपारा,चौकी,दनौ र,गुमसेना,बदैया सहित दर्जनों गांवो में अवैध शराब बनायी और बेंची जाती है।
कोई पुलिसिया सहयोग नहीं मिला
शराबियों और शराब से बिगड़े घरेलू और सामाजिक जीवन को लेकर कुछ महिलाएं सामने आयीं लेकिन उन्हें कोई पुलिसिया सहयोग नहीं मिला।शाहपुर गोड़वा की आशा बहू सुशीला ने अपने पति विधान रावत के साथ मिलकर इस कारोबार को अपने गांव में बंद कराने की मुहिम शुरू की थी।गांव की तीन दर्जन महिलाओं के साथ वह थाने गए थे और पुलिस से सहयोग करने की मांग की थी।उनका लिखित प्रार्थनापत्र लेने से आगे पुलिस ने कोई सहयोग नहीं किया।जिसके चलते यह एक सकारात्मक मुहिम बंद हो गयी।
जमानत देने के नाम पर जमकर वसूली
यह बात सही हो सकती है कि पुलिस इन अवैध शराब कारोबारियों से निर्धारित वसूली न करती हो लेकिन पकड़ कर छोड़ने के सैकड़ो उदाहरण मिल जायेंगे।मुकदमा दर्ज कर लिया तो थाने से जमानत देने के नाम पर जमकर वसूली होती है। यह बात किसी भी शराब कारोबारी से पता हो जायेगी।पुलिस की यह कार्यप्रणाली भी इन कारोबारियों का मनोबल बढ़ाती है।लहन और शराब अगर कभी नष्ट भी की गयी तो वह दोबारा अपनी दूकान सजा लेते हैं।चूँकि थोड़े खर्च से बड़ा मुनाफा इसी धंधे में उन्हें नजर आता है।
बड़े पैमाने पर बाहर भेजी जाती है
राजधानी की सीमा से जुड़े क्षेत्र के गांवो में बनने वाली यह अवैध शराब बड़े पैमाने पर बाहर भेजी जाती है।मड़ियांव थाने की सीमा शराब सप्लायरों के लिए अधिक सुगम है।गोमती नदी को पार करते ही नगरीय सीमा शुरू हो जाती है।कम दामों में अधिक नशे वाली इस शराब की मजदूर तबके में मांग अधिक है।काकोरी की सीमा में दुबग्गा सहित कई ऐसे क्षेत्र है जहां माल से भेजी गयी अवैध शरब की खूब मांग है।एक दिन में हजारों का खेल करने वाले यह शराब माफिया किसी से नहीं दबते।
सेहत के लिए सिर्फ और सिर्फ जहर
जल्दी और ज्यादा शराब बनाने के लिये कारोबारी तमाम ऐसे रसायनों को मिलाते हैं जो सेहत के लिए सिर्फ और सिर्फ जहर है।कारोबार से जुड़े सूत्रों की बात पर यकीन करें तो हालात अगर कहीँ बिगड़े तो कितनी जनहानि होगी इसका अंदाज लगाना मुश्किल है।महुवा और गुड़ की थोड़ी मात्रा के नौशादर,ईस्ट(खमीर उठाने के लिए उपयोग किया जाने वाला रासायनिक तत्व)सिंघाड़े की फसल में डाली जाने वाली तीव्र कीटनाशक,नीम की पत्ती,मिर्च के बीज,सिंघाड़े की फसल में डाली जाने वाली कीटनाशक डालकर शराब बनायी जा रही है। सल्फास टेबलेट को खुरच कर उसका चूरा भी लहन में डाला जाता है।जिससे शराब का जाम और अधिक जहरीला हो जाय।