लखनऊ। उत्तर प्रदेश को एक खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए रियल स्टेट सेक्टर में बड़ा निवेश होने जा रहा है। आवास विभाग को अभी तक 115637.67 करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिल चुके हैं। कुल 820 एमओयू होने हैं। शुक्रवार से ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट शुरू हो रहा है। इस क्षेत्र में निवेश के प्रस्ताव लगातार आ रहे हैं, इससे अभी निवेशकों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है।
ग्लोबल इंवेस्टर समिट में राज्य सरकार की ओर से रियल स्टेट के क्षेत्र में निवेश करने वालों को आमंत्रित किया गया है। पिछले दिनों प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों और आवास विकास परिषद की ओर से इन्वेस्टर मीट के आयोजन किये गये। प्रदेश में निवेश की संभावनाओं, विशेषत: हाउसिंग एवं रियल एस्टेट सेक्टर की नीतियों के सम्बंध में विस्तार से अवगत कराया। उन्हें योजनाओं के बारे में बताया गया कि ग्लोबल इंवेस्टर समिट के दौरान एमओयू करने वालों को क्या फायदा मिलेगा।
इसके आधार पर करार का प्रारूप तैयार किया गया। प्रदेश के सभी बड़े शहरों में रियल स्टेट में निवेश के भारी मात्रा में लगातार प्रस्ताव विकास प्राधिकरणों को मिल रहे हैं। अब तक मिले प्रस्ताव के आधार पर एमओयू किया जा रहा है। अगले तीन दिनों में बचे करार किये जाएंगे। इसके आधार पर बिल्डरों से प्रस्ताव लिया जाएगा। उन्हें बताना होगा कि जमीन का कैसे जुटाव करेंगे और योजना को कब अमली जामा पहनाया जाएगा यानी इन योजनाओं में पंजीकरण कराने वालों को कब तक मकान मिल जाएंगे। विकास प्राधिकरणों की ओर से जरूरत के आधार पर बिल्डरों को सुविधाएं भी दी जाएंगी।
शर्तों के मुताबिक बिल्डरों को करार के आधार पर किसानों से जमीन लेनी होगी। जरूरत के आधार पर लैंड पूलिंग योजना को भी आधार बनाया जाएगा। किसानों को योजनाओं में हिस्सेदारी दी जाएगी। अपने हिस्से की विकसित जमीनों पर किसान अपने हिसाब से उपयोग कर सकेंगे। आवासीय और व्यवसायिक का अलग-अलग इस्तेमाल होगा। प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन विभाग नितिन रमेश गोकर्ण ने कहा कि प्रदेश में जो भी परियोजनाएं लायी जाएंगी, उनकी स्वीकृति एवं क्रियान्वयन में कोई भी व्यवधान उत्पन्न नहीं होने दिया जाएगा।
इस सम्बंध में आवास आयुक्त एवं प्राधिकरणों के उपाध्यक्षों के स्तर पर समस्त प्रस्तावों का प्रत्येक 15 दिन में अनुश्रवण किया जाएगा, जबकि शासन के स्तर पर सम्बंधित प्रोजेक्ट्स का प्रतिमाह अनुश्रवण किया जाएगा। विकास प्राधिकरणों को इसे सुनिश्चित कराना होगा कि भू-उपयोग के इतर कोई भी निर्माण न होने पाए।
लखनऊ में 12812 करोड़, सहारनपुर में 65 करोड़, आगरा में 2000 करोड़, झांसी में 1180 करोड़, उन्नाव में 7.8 करोड़, बरेली में 608.5 करोड़, कानपुर नगर में 600 करोड़, अयोध्या में 505 करोड़, गाजियाबाद में 19164.37 करोड़, मेरठ में 2200 करोड़, मुरादाबाद में 1879.92 करोड़, मथुरा में करोड़ 659.47, प्रयागराज में 4276 करोड़, अलीगढ़ में 1000 करोड़, नोएडा में 1523 करोड़, वाराणसी में 598.32 करोड़ और गोरखपुर में 860 करोड़ का प्रस्ताव मिल चुके हैं।