Sunday, October 13, 2024
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    गरीब समुदायों की लड़कियां, आज भी स्कूल से बाहर हैं

    • सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों में लड़कियों पर बहुत अधिक प्रतिबंध हैं।

    • इनिशिएटिव फाउण्डेशन इंडिया  राष्ट्रीय बालिका दिवस और अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया।

     लखनऊ ।  इनिशिएटिव फाउण्डेशन इंडिया ने राष्ट्रीय बालिका दिवस और अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर बुद्धेश्वर स्थित लान में कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें संस्था से जुडी लड़कियों ने भाग लिया और उत्साह के साथ कार्यक्रम मनाया। आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्था की संस्थापक सदस्य पूजा ने इस दिन के महत्त्व के बारे में बताते हुए कहा कि बच्चियों की स्वास्थ्य एवं सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार सुनिश्चित करने, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और क्षमता को बढाने के लिए शिक्षा सबसे शक्तिशाली बल है। लेकिन उसके बावजूद लड़कियों की शिक्षा के लिए उपलब्ध कानूनों, नीतियों और योजनाओं के शोध अध्ययनों से पता चलता है कि गरीबी, बाल विवाह, विद्यालयों में स्थित स्थितियां और विद्यालयों में सुरक्षा की कमी जैसे प्रमुख कारण हैं की हाशिए और गरीब समुदायों की लड़कियां, आज भी स्कूल से बाहर हैं।
    उन्होंने कहा की सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों में लड़कियों पर बहुत अधिक प्रतिबंध हैं, लड़कियों को विभिन्न संदर्भों में भेदभाव और हिंसा के कई रूपों का शिकार होना पड़ता है। उन्हें जल्दी शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है क्योंकि उन्हें एक बड़ा बोझ माना जाता है, और उनकी सुरक्षा के मुद्दे, विशेष रूप से किशोरावस्था के बाद एक बड़ा कारण है। संस्था की जेंडर कोआर्डिनेटर प्रभारी सोनी यादव ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देश के हर बच्चे को मिलना चाहिए हैं। आज शिक्षा के अभाव के कारण देश में करोड़ों की संख्या में बाल मजदूर फसे हुए हैं। सरकार योजना तो बना देती है लेकिन उसे जमीन तक पहुचाने के लिए ठोस उपाय नहीं करती है। हमारे देश के शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, बच्चों में कुपोषण और स्वास्थ्य संबंधी मानको का स्तर बेहद खराब हैं जिसमें रोजाना अनेकों बच्चों की मौत हो रही और तमाम कानून होने के बाद भी बाल मजदूरी, बाल विवाह, बच्चों में कुपोषण खत्म होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है। वह दिन कब आएगा जब कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे।
    संस्था की युवा सदस्य सपना रावत ने कहा की बच्चों के लिए शि‍क्षा विकास की पहली सीढ़ी है। शि‍क्षा पाना हर बच्चे का अधिकार है। आज समाज में लड़के-लड़की में जो भेदभाव की घटना सामने आ रही हैं उस पर रोक लगाने के लिए सख्त क़ानून बनाने की जरुरत हैं, भेदभाव करना गलत हैं। हम सभी को वक्त-वक्त पर ऐसी सामुदायिक पहल करते रहने की जरुरत है तभी सरकार और समाज जागरूक होगा। इस अवसर पर पलक, पूनम,पूजा, शिल्पी, सोनी, पल्लवी आरती सहित संस्था की दर्जनों लड़कियों ने भी अपने बहुमूल्य विचार रखा।
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