लखनऊ। हर महीने मौसम का परिवर्तन होता है। ऐसे में किसानों अपनी फसलों को कैसे सुरक्षित रख सकते है। यह जानना बहुत जरूरी है।
इस सम्बंद में मुख्य उद्यान विशेषज्ञ मलिहाबाद राजीव कुमार वर्मा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन में फसलों का सुरक्षित रखना बहुत जरुरी है। किसान कुछ उपाय कर अपनी फसलौं को सुरक्षित और फलदायी बना सकते है। सितम्बर माह में किसान इस तरह फसलों को सुरक्षित रख सकते है।
आम
पुराने बागों की जुताई, गुडाई करें। शाखा कीट के नियंत्रण हेतु डायमेथोएट (2मिली0/ली0पानी में) या क्वीनालफास (2मिली0/ली0पानी) में किसी एक का 15 दिन के अन्तर पर छिड़काव करें। यदि बाग में जाला बनाने वाले कीट (टेंट कैटर पिलर) का प्रकोप हो तो जाला छुड़ाने वाले यंत्र से जाला साफ करें। प्रभावित प्ररोह को काटकर कीड़ों सहित जला दें। यदि प्रकोप अधिक हो तो कार्बेरिल 3ग्राम/ली0 पानी या क्वीनालफास 2मिली0/ली0 का छिड़काव करें। रेड रस्ट की बीमारी के नियंत्रण हेतु कापर आक्सीक्लोराइड 3ग्राम / ली0पानी की दर से छिड़काव करें। गमोसिस रोग के नियंत्रण हेतु भूमि में खाद की तरह कापर सल्फेट 250ग्राम, जिंकसल्फेट 250ग्राम, बोरेक्स 125ग्राम तथा साथ में बुझा हुआ चूना 100ग्राम (10वर्ष एवं उससे अधिक आयु वाले पौधें हेतु) मिलावें। एन्थ्रेक्नोज रोग के नियंत्रण हेतु ब्लाइटाक्स-0.3प्रतिशत का छिड़काव करें।
केला
अवांछित पुत्तियों एवं सूखी तथा संक्रमित पत्तियों की कटाई तथा नये बाग का रोपण अनिवार्य रूप से करें। 50-60ग्राम यूरिया प्रति पौधा देकर मिट्टी में मिलावें। बनाना बीटिल नियंत्रण हेतु डायमेथोएट (2मिली0/ ली0 पानी) का छिड़काव अथवा फोरेट 10 जी 2.5ग्राम प्रति पौधे की दर से गोफे में तथा मिट्टी में मिलाना। पर्ण चित्ती,तना गलन तथा एन्थ्रेक्नोज रोग के नियंत्रण हेतु ब्लाइटाक्स 0.3प्रतिशत का छिड़काव करें। परिपक्व घार की कटाई एवं विपणन का कार्य।
अमरूद
फलों की तुडाई एवं विपणन। बाग की जुताई,गुडाई तथा सूक्ष्म तत्वों का छिड़़काव। फल मक्खी के नियंत्रण हेतु फेरोमोन ट्रेप को बागों मे लगाना।
आंवला
उर्वरकों का (संस्तुत मात्रा के अनुसार) थालों में प्रयोग करें। फल सड़न रोग के नियंत्रण हेतु ब्लाइटाक्स 0.3प्रतिशत (3ग्राम प्रति ली0) तथा बोरेक्स/बोरिक एसिड (0.6प्रतिशत) का छिड़काव। इण्डरवेला कीट की रोकथाम हेतु डाईक्लोरोवास(1मिली0प्रति ली0)घोल को रूई में भिगोकर छेदों में डालना तथा चिकनी मिट्टी से बन्द करना।
पपीता
तैयार पौध की 2ग2 मीटर पर रोपाई करना।
रबी की सब्जियों की बुवाई
तैयार पौधों की रोपाई, यथा आवश्यक सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई। अगेती आलू की बुवाई माह के अन्तिम सप्ताह में।
गोभी की खड़ी फसल में 50किग्रा0 यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से टाप ड्रेसिंग।
बैंगन की तुड़ाई, छटाई एवं विपणनं। यूरिया 50किग्रा0 प्रति हेक्टेयर की दर से टाप ड्रेसिंग एवं निराई-गुड़ाई।
मटर की अगेती किस्मों की माह के अन्त में बुवाई (खेत तैयारी के समय अच्छी फसल के लिए संस्तुत मात्रा 50-60 किग्रा0 नत्रजन,50 किग्रा0 फास्फोरस तथा 40किग्रा0 पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से तत्व के रूप में) नत्रजन की आधी मात्रा तथा पोटाश एवं फास्फोरस की पूरी मात्रा बुवाई के पहले मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। बची नत्रजन की आधी मात्रा अक्टूबर में बुवाई के 25-30 दिन बाद टाप ड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए।
रजनीगंधा के स्पाइकों की कटाई-छटाई तथा विपणन।
ग्लेडियोलस के लिए क्यारियों की तैयारी। 10किग्रा0 सड़े गोबर की खाद, 200 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 200 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलावें।