लखनऊ। राजकीय बाल गृह में पांच दिनों में चार बच्चियों की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। गुरूवार को जांच के लिए मुख्य चिकित्साधिकारी टीम बालगृह पहुंची। जहां कई बच्चे बीमार मिले। वहीं एक बच्चे को आपरेशन के लिए संजय गांधी पीजीआई भेजा जायेगा।
गुरूवार को टीम जांच के लिए पहुंची तो उन्हें जगह-जगह बदइंतजामी मिली। टीम ने बालगृह में मौजूद बच्चों को स्वास्थ्य परीक्षण किया तो कई बच्चे बीमार मिले। हालांकि किसी भी बच्चे को भर्ती कराने की जरूरत नहीं हुई। टीम ने दवाएं दे दी। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. मनोज अग्रवाल ने भी बालगृह अधिकारियों का पक्ष लेते हुए ठंड को मौत की वजह मानने से इंकार किया है। जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह निमोनिया व सेप्टीसीमिया बतायी गयी है।
उन्होंने बताया कि यहां जन्मजात बीमारी से ग्रसित एक बच्चे को आपरेशन के लिए संजय गांधी पीजीआई भेजा जायेगा। उन्होंने शिशुओं की देखभाल के लिए व्यवस्था और दुरूस्त करने के निर्देश दिये हैं। वहीं सिविल अस्पताल के सीएमएस डा. आरपी सिंह ने बताया कि दो महीने की बच्ची मून वेंटिलेटर पर है। उसका वजन दो किलो है। दो किलो का बच्चा बेहद कमजोर होता है। बच्ची को जब अस्पताल लाया गया था, तब बच्ची की हालत गंभीर थी। लेकिन, इस समय बच्चे का इलाज चल रहा है।
वेंटिलेटर पर बच्ची की हालत स्थिर है। बच्ची पीडियाट्रिक विभाग में डॉक्टरों की निगरानी में है। महिला कल्याण विभाग के जिला परिवीक्षा अधिकारी विकास सिंह का कहना है कि बाल गृह में चार बच्चियों की मौत 10 और 14 फरवरी के बीच इलाज के दौरान हुई है जो डेढ़ महीने से साढ़े पांच महीने की थीं। उन्होंने कहा कि घटना के मजिस्ट्रेट जांच के भी आदेश दे दिए गए हैं। श्री सिंह के मुताबिक राजकीय बालगृह के अधीक्षक किंशुक त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने इन बच्चियों की ठंड से मौत होने की बात को खारिज करते हुए कहा कि इन बच्चियों की स्वास्थ्य स्थिति संस्था में प्रवेश समय से ही गंभीर थी और इनका उपचार कराया जा रहा था लेकिन बचाया नही जा सका। इन बच्चियों का वजन 1200 ग्राम से 1600 ग्राम के मध्य था। वहीं विभागीय मंत्री बेनी रानी मौर्य ने संस्था में शिशुओं की संख्या अधिक होने के कारण इनके आवास हेतु एक अतिरिक्त कक्ष की व्यवस्था के निर्देश दिये, जिससे असुविधा और संक्रमण से बच्चों को बचाया जा सके।