लखनऊ। बीरबल साहनी मार्ग स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिन कथावाचक नीरज कृष्ण शास्त्री जी ने प्रहलाद चरित्र वामनजी का प्रादुर्भाव एवं श्री कृष्ण जन्म उत्सव पर कथा का सुमिरन कराया। कृष्णा अवतार की कथा का वृत्तांत सुनाकर श्रोताओं को भक्ति भाव से भर दिया। कृष्ण जन्मोत्सव का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब पृथ्वी पर कंश के अत्याचार पराकाष्ठा पर पहुंच गए तब भगवान श्रीकृष्ण ने जेल के अंदर प्रकट होकर वासुदेव देवकी को दर्शन दिए तत्पश्चात उनके आग्रह पर कृष्ण के बाल रूप धारण कर लिया।
कथावाचक ने बताया कि भगवान कृष्ण के प्रकट होते ही जेल के सारे बंधन टूट गए। तथा जेल में दिव्य प्रकाश फैल गया तत्पश्चात वासुदेव बालकृष्ण को लेकर नंदगांव गया। भक्त प्रहलाद चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि प्रहलाद चरित्र पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है । उन्होंने कहा कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती। राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रहलाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी।
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सच्चे अर्थों में कहा जाए तो प्रहलाद ने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया। उन्होंने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उसका पिता दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए, प्रहलाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया। लेकिन राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद की बात को नहीं माना।
ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संहार किया गया। उसके बाद भी प्रह्लाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया और अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। इस अवसर पर कनानिया परिवार सदस्य महामंत्री रूपेश अग्रवाल, मदन लाल अग्रवाल, जगदीश प्रसाद, विजय अग्रवाल, रतनलाल अरुण, अग्रवाल सुभाष अग्रवाल, मनीष अग्रवाल एवम समस्त भक्तजन कार्यक्रम में उपस्थित रहे।