Saurabh Singh
लखनऊ। श्रीलखनेश्वर बाल रामलीला समिति का स्वर्ण जयंती समारोह गुरुवार मोहनलालगंज के दहियर गांव में मध्य रात्रि बड़ी धूमधाम से केक काटकर मनाया गया। इस दौरान समिति की ओर से कलाकारों को अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया। समिति के पदाधिकारियों और कलाकारों ने एक-दूसरे का मुंह मीठा कराकर रामलीला की पचासवीं वर्षगांठ पर बधाई दी दर्शकों को मिष्ठान्न वितरित कर समारोह का समापन किया गया।
उधर गुरुवार को रामलीला के अन्तिम दिन ……डोली भूमि गिरत दसकंधर छुभित सिंधु सरि दिग्गज भूधर …..चौपाई की उदघोषणा के साथ ही रावणदहन और अयोध्या वापस लौटने पर श्रीराम के राज्याभिषेक के साथ ही रामलीला का समापन भी किया गया।
अन्तिम दिन रामलीला में जहां अहिरावण वध की लीला का मंचन किया गया। तदोपरांत रामा दल व रावण दल के बीच कौतूहल भरा भीषण युद्ध हुआ जैसे ही प्रभु श्री राम ने रावण को बाण मारा, रावण धराशाई हो गया । रावण वध होते ही जय श्री राम के उद्घोष गुंजायमान हो उठे। 14 वर्षों के वनवास की अवधि समाप्त होते ही प्रभु श्री राम इस धरा पर आने के उद्देश्य की पूर्ति करते हुए , लंकापति रावण पर विजय प्राप्त कर सभी वानरी सेना से भावपूर्ण विदाई लेकर, माता जानकी, लक्ष्मण, हनुमान जी एवं विभीषण सहित अयोध्या आते हैं ।
जहां सभी प्रजा वासियों की सहमत से गुरु वशिष्ठ ने राम को राजा बनने का आदेश दिया। रामलीला का समापन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक के साथ संपन्न किया गया। प्रभु श्री राम के अयोध्या आने का सुखद समाचार सुनकर सभी अयोध्यावासी खुशी से झूम उठे परंतु सबसे अधिक प्रसन्नता भारत जी को थी। प्रसन्नता बस भरत की आंखों में आंसू छलक आए।
अयोध्यावासी जो जैसी स्थिति में था वैसे नंगे ही पैरों प्रभु श्री राम व जानकी माता के दर्शन हेतु दौड़ पड़ते हैं।” प्रथम तिलक वशिष्ठ मुनि कीन्हा, पुनि सब विप्रन आयसु दीन्हा ” गुरु वशिष्ठ ने प्रभु श्री राम का तिलक कर उनके राजा बनने की घोषणा की।इस अवसर पर रामलीला समिति के अध्यक्ष रमेशचन्द्र शुक्ल उपाध्यक्ष सुरेश कुमार अवस्थी महामंत्री सिद्धार्थ तिवारी निर्देशक सतीश दीक्षित कोषाध्यक्ष प्रेमशंकर अवस्थी व प्रबंधक पवन कुमार तिवारी और सभी सदस्य तथा वरिष्ठ एवं नौजवान कलाकार उपस्थित रहे।