Sunday, October 13, 2024
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    रिक्शा चालक के बेटे से प्रेरणा लेकर ट्रक ड्राइवर का बेटा बना IAS   

    हरि प्रकाश यादव 

    नागौर।  मन में कुछ करने का जज्बा हो और खुद पर विश्वास हो तो मुश्किल से मुश्किल हालातो में आप सफलता के शिखर पर पहुंच जाते हैं। इसी बात को सच साबित कर दिखाया है राजस्थान के नागौर के एक ट्रक ड्राइवर के बेटे पवन कुमार कुमावत ने। पवन कुमार ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से देश की सबसे कठिन यूपीएससी परीक्षा पास की है। कुमावत मूलतः नागौर जिले के सोमणा (जायल) निवासी है और उनके पिता ट्रक चालक है।

    आमतौर पर देखा, पढ़ा और सुना होगा कि ट्रक चालक की जिंदगी बहुत ही संघर्ष पूर्ण होती है। वह  अपना अधिकांश समय परिवार से दूर रहकर गुजारता है। लेकिन पिता का यह संघर्ष  देखकर उनके होनहार बेटे पवन कुमार के मन में  कुछ कर दिखाने का हौसला बनाये रखा। सफलता का झंडा फहराने वाले होनहार पवन कुमार कुमावत का यूपीएससी एग्जाम में सेलेक्शन हो गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2006 में गोविंद जैसवाल का चयन हुआ था, जिनके पिता जी रिक्शा चालक थे, इसलिए मैंने ठान लिया था कि आईएएस बनना है। पवन की पढाई लिखाई शहर के पब्लिक स्कूल से शुरू हुई है।

    पिता रामेश्वरलाल ने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए गांव छोड़ नागौर में आकर रहने लगे। यही से पवन ने अपनी आगे की पढाई पूरी की हालाँकि बाद वो आगे की पढाई के लिए जयपुर भी गए। पवन कुमार ने बताया कि उसके घर में बिजली नहीं होने पर लालटेन व चिमनी के माध्यम से पढ़ाई जारी रखा। पवन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है। पवन ने बताया कि बचपन में दादी उसे धार्मिक कहानियों सुनाती थीं। ध्रुव तारे की कहानी सुनाने पर जीवन में कुछ करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। दादी ने उसे कड़ी मेहनत का मूल मंत्र दिया तभी से उसने जीवन में सफल होने का मन बना लिया था।

    ट्यूशन की फीस के लिए पिता को लेना पड़ा कर्ज
    पवन अपनी कॉलेज की पढ़ाई के साथ UPSC व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे थे। परंतु मात्र चार हजार रुपए में घर चलाना उनके पिता के लिए काफी चैलेंजिंग था। फिर भी उनके पिता ने उन्हें कभी इस बात का पता भी नहीं लगने दिया। कई बार तो उनके पिता को लोगो से उधार भी लेना पड़ा। एक बार पवन की कोचिंग फीस भरने के लिए पिता ने कर्ज लिया था। कर्ज के पैसे वापसी के लिए काफी लोगो ने उन्हें परेशान भी किया।

    फिर भी पवन अपनी मेहनत में लगे रहे और आज उन्होंने अपने माता पिता की सारी परेशानी को दूर कर दिया। पवन ने अपने एक इंटरव्यू में कहा की उन्होंने वर्ष 2006 में एक न्यूज चेंनल में चल रही हेडलाइन को पढ़ा उसमे लिखा था की एक रिक्शा चालक के बेटे ने UPSC की परीक्षा पास की और बना आईएएस अधिकारी। उसी समय से पवन ने भी दृढ़ निश्चस्य किया कि उन्हें भी एक आईएएस अधिकारी (IAS Officer) ही बनना है। उन्होंने ने बताया की उस टाइम मुझे UPSC के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी ।

    इसको लेकर उनके दिमाग बहुत सारे सवाल उठ रहे थे। वहीं, यह सारी जानकारी उनकों कॉलेज में मिली और उसके बाद जिद के साथ में लग गए। पवन लगातार अपनी तैयारी करते रहे और वर्ष 2018 में वे RAS के लिए चुने भी गए। उनकी पहली पोस्टिंग बाड़मेर जिला उद्योग केंद्र में निदेशक के पद पर हुई। इसके बाद भी पवन ने UPSC के लिए दो बार प्रयास किए। इंटरव्यू तक पहुचे और विफल हुए। फिर भी हार नहीं मानी। इसी बीच वर्ष 2018 में उन्होंने शादी रचाई उनका एक बच्चा भी है। तीसरे प्रयास में पवन को सफलता मिल ही गई। उन्होंने UPSC परीक्षा में 551 रैंक से पास की है आज उनका पूरा परिवार उन पर गर्व करता है।

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