राम किशोर
-ग्रामीणों की नाराजगी को देख मौके पर भारी पुलिस बल तैनात
लखनऊ। प्रशासनिक अधिकारियों और बारिश की तीव्रता आश्रय स्थल में बंद बेजूबान गौवंश पर भारी पड़ी। बुधवार की देर रात से शुरू हुयी जोरदार बारिश की चपेट में आकर कई गोवंश काल के गाल में समा गये। इतनी बड़ी संख्या में गोवंश की मौत की खबर मिलते ही पूरा इलाके में हड़कम्प मच गया। बड़ी संख्या में लोग मौके पर पहुचं गये। घटना की गंभीरता को देखते हुये पूरा जिला प्रशासन लाव-लश्कर के साथ आश्रय स्थल पर नजर आया।
जिन जिलास्तरीय अधिकारियों ने आश्रय स्थलों को गोद लिया था वह ऐसे तो कभीदेखने नहीं आये । लेकिन यहां घटना के बाद पहुंचे सभी अधिकारी अव्यवस्था को जिम्मेदार बताने में जुटे रहे। एक साथ हुयी इतनी मौतों को अगर छोड़ दिया जाये तो यहां पर प्रतिदिन गौवंश की मौत आम बात है। जो लापरवाह अधिकारियों की पोल खोलने के लिये काफी है। भूख प्यास और बरसात के अधिक पानी मे फंसकर कमजोर गोवंशों की अधिक मौतें हुई हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अहिडर पंचायत का गौ आश्रय स्थल हरदोई जिले की सीमा पर वन विभाग के जंगल में संचालित है। जहां बबूल की घनी झाड़ियों के किनारे तीन टीन शेड बने हैं। एक शेड खड़ंजे के दाहिने ओर जबकि दो शेड बायें तरफ बने हैं। जिसमें सुरक्षा के नाम पर लगे गेट, बोर्ड सब अस्तव्यस्त और टूटे पड़े हैं। यहां दो गौ पालकों के कंधों पर साढ़े तीन सौ गोवंश के रखरखाव की जिम्मेदारी है। जो खुद शारीरिक तौर पर असमर्थ हैं।
ऊसर प्रभावित इस जमीन पर लगी बबूल और उसमें भरा जबरदस्त कीचड़ गोवंशों की अकाल मौतों का सबब बन गया। तीन वर्ष पहले स्थापित किये गये इस अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की व्यवस्था को दुरुस्त करने की याद किसी को भी नहीं आयी। बीते दिन सालों के अन्दर न तो कभीसचिव ओमवीर यादव यहां का निरीक्षण किया और इस आश्रय स्थल को सुवयस्थित बनाने के लिये जारी किये गये धन का समय से उपयोग नहीं किया।
इसके अतिरिक्त पशु चिकित्सकों ने भी यहां आना जरूरी नहीं समझा। लिहाजा अव्यवस्था यहां हमेशा सर चढ़कर बोली। बीते दिनों में यहां रह हरे करीब साढ़े तीन सौ गोवंश के चारे, टीन शेड आदि की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण अधिकांश कमजोर हो गये। 15 सितंबर को हुई भारी बरसात के कारण पूरा आश्रय स्थल जलमग्न हो गया । भारी कीचड़ और तेज हवाओं से बनी ठंड में ठिठुरन से करीब सौ के आसपास गोवंश मौत के आगोश में चले गये।
जबकी करीब दो दर्जन से अधिक गोवंश मौत के इंतजार में आखिरी सांसे गिन रहे हैं। सचिव ओमवीर यादव की लापरवाही भी इस त्रासदी के लिये कम जिम्मेदार नहीं है। तमाम निदेर्शों के बाद भी सचिव ने अपना रवैया नहीं बदला। जिसके चलते अन्य जुड़े लोग भी लापरवाह बने रहे। शुक्रवार की सुबह पूरे इलाके में गोवंश की मौतों की खबर जंगल की आग की तरह फैल गयी। तुरंत मुख्य पशु चिकित्साअधिकारी पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे । वहां का माजरा देखकर सभी के हाथ पांव फूल गये।
हर तरफ मरे हुये गोवंश के शव दिख रहे थे। जबकी दो दर्जन से अधिक गोवंश कीचड़ में पड़े अंतिम सांसे ले रहे थे। खबर मिलते ही मुख्य विकास अधिकारी अश्वनी कुमार पांडेय, जिलाधिकारी प्रशासन अमर पाल सिंह, उपजिलाधिकारी मलिहाबाद नवीन चन्द्र के साथ आश्रय स्थल पहुंचे। बीडियो रविन्द्र मिश्रा ने तुरंत पूरे इलाके के फील्ड स्टाफ को बुलाया। सफाईकर्मी ,रोजगार सेवक,सचिव, एडीओ के अलावा सभी पशुपालन विभाग के चिकित्सक भी मौके पर बुला लिये गये। मृत गोवंशों को चार जेसीबी बुलाकर दफन कराने में भी खासी मशक्कत की गयी ।
मलिहाबाद नगर पंचायत से लेकर अन्य निजी ट्रैक्टर भी कम में लगाये गये । मौके पर भारी भीड़ और नाराजगी देखते हुये पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने एक ट्रक पीएसी बल भी मौके पर बुला लिया था। सीओ मलिहाबाद, इंस्पेक्टर मलिहाबाद के साथ अन्य थानों के फोर्स भी गोवंशो के दफन हो जाने तक मोर्चा संभाले रखी। आश्रय स्थल परिसर में अभी भी दो दर्जन गोवंश मरणासन्न हालात में वहां पड़े होकर अपने इलाज की बाह जोट रहे हैं। जिलाधिकारी ने कुछ दिन पहले अहिडर,नवीपनाह समेत रानीपरा की अतिरिक्त जिम्मेदारी जिला परियोजना प्रबंधक नेडा को दी थी ।
प्रबंधक विवेक भार्गव ने बताया जिलाधिकारी के आदेश के बाद वह एक बार स्थल देखने गये थे उस दिन वहां मौजूद समस्याओं की जानकारी मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी को दी थी। जो करीब डेढ़ माह पहले दुर्घटना में पैर टूट जाने के कारण अवकाश पर होना बताया है। ग्रामीणों के अनुसार अगर जिम्मेदार पहले से ही इन पशुओं की देखरेख कर लेते तो शायद आज इतनी संख्या में उनकी मौत ना होती। अब प्रश्न यह है कि इन पशुओं की मौत की जिम्मेदार कौन होगा। यह सवाल ग्रामीणों में चर्चा का विषय बना हुआ है।